chandrama ke sabhi roop

चंद्रमा के सभी रूप | जानें चंद्रमा के प्रभाव - गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ जी से

एक बड़ी जबरदस्त चीज आपको सुनाने जा रहा हूँ बेटा, और जिसके ऊपर हर किसी का जीवन टिका हुआ है; हर किसी का। मैं आज आपको चंद्रमा के सारे रूप दिखाता हूँ।

 

बृहस्पति पहले घरों में हो और केतु बाद के घरों में हो, तो चंद्रमा खराब होता है। यही चंद्रमा वृषभ राशि का, कर्क राशि का या जिसका भी आप अच्छा लगाएँ, आप सातवें घर में बिठा दीजिए; मियां – बीवी की कभी बन ही नहीं सकती, अलग भी हो जाएंगे और हो सकता है टूट ही जाए और दूसरी भी होगी। और डेली इनकम भी खत्म। लेकिन इसके विपरीत, बृहस्पतिकेतु दोनों 7 से 12 घर के अंदर हो या बृहस्पतिकेतु पहले घरों में हो यानी 1 से 6 में हो, तब सातवें में वृश्चिक राशि का चंद्रमा बिठा दीजिए शादी नहीं टूट सकती; कभी नहीं टूट सकती। और यह सिर्फ मैंने डेली इनकम के लिए नहीं कहा, शादीशुदा जिंदगी के लिए नहीं कहा, यह मैंने 12 के 12 घरों के लिए बोला है। कैसे?

 

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अगर चंद्रमा खराब हुआ तो क्या होगा?

 

अगर चंद्रमा खराब हुआ, वो इंसान के बचपन को संघर्षमय बनाएगा ही बनाएगा। माँ को दुख पहुंचाएगा ही पहुंचाएगा और प्रॉपर्टी, पैसे की खराबी उसको लानी है, जिसके कारण उसके बाप को तकलीफें झेलनी पड़ेगी। जिसजिस का बृहस्पति 1 से 6 घर में है, और जिसजिस का केतु 7 से 12 घर में है, वो अभी अपने चंद्रमा का एनालाइज करके देख ले, जहाँ भी बैठा हो। 

 

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ऐसा इंसान बहुत इमोशनल, बहुत अच्छा, हर किसी को वादा दे देने वाला, लेकिन मन ही मन के अंदर विपरीत लिंगी को चाहने वाला और एक नंबर का चापलूस; की कुछ भी हो उसकी चापलूसी करनी ही करनी है क्योंकि उसको विपरीत लिंगी चाहिए। मैंने एक सम्मेलन में बोला था कि शुक्र का कोई संबंध नहीं है विपरीत लिंगी के आकर्षण के साथ में, इसके आकर्षण के साथ में सिर्फ और सिर्फ चंद्रमा का संबंध है, इसको भी साबित कर देता हूँ। हर दुनिया की माँ, चंद्रमा मानते हैं हम चलो लेकिन वो चंद्रमा तो तब बनी जब वो पहले शुक्र थी अगर वो शुक्र हो तो वह चंद्रमा कैसे बन सकती है और इसी प्रकार से शुक्र की जो अंदरुनी ताकत है, वह चंद्रमा से जुड़ी हुई है, और शुक्र बुध के बिना बेकार है।

 

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बुध किसे बोलते हैं?

 

हम बोल देते हैं, अंडे को और बीज को। लेकिन उससे भी गहरे में जाएं तो ये बुध कहाँ पाया जाता है। जब कोई लार्वा, कहने का मतलब है एक काई, काई के अंदर से झिल्ली बनना, झिल्ली के सेंटर में वह जो पीले वाला पार्ट है जो बच्चे के प्रजनन के लिए बहुत जरूरी है। जिसके अंदर जान और प्राण आते हैं, झिल्ली तो त्वचा बनाती है बस। लेकिन जान और प्राण अंदर के, अंडा जो है और वो जो अंश है; जिसे गंड पार्टिकल बोलते हैं। जो इंसान का या किसी जीव का निर्माण करता है वह अंदर का हिस्सा बुध होता है। इसके ऊपर लाल किताब बोलती है, कि अगर जन्म कुंडली के अंदर शुक्र पहले घरों में हो और बुध बाद के घरों में हो तो ऐसी अवस्था में इंसान पूरा स्वस्थ होने के बावजूद भी ऐसे हालात हो सकते हैं कि वो बच्चा पैदा करने में सक्षम ही हो। क्योंकि केतु का करंट उसमें से गुजरना है; वो नहीं जोड़ता इन्हें। और वही कहीं बुध पहले घरों में हो शुक्र बाद के घरों में हो आदमी बीमार भी हो जाए, मरीज भी हो तब भी बच्चा पैदा कर सकता है। यह इसका लॉजिक है पहले का। और शुक्र में से ही चंद्रमा पैदा होता है। तो अगली बात पर आते हैं।

 

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तो बृहस्पति पहले केतु बाद का आपको बताया चंद्रमा खराब हो गया लेकिन यह आदमी इतने डिप्लोमेटिक, इतने समझदार भी होते हैं कि अगर अपनी ये बुरे वयसनों पर कंट्रोल करें, बुरी सोच को कंट्रोल करें, तो दुनिया के अंदर महाज्ञानी, महाविज्ञानी और हर असंभव को संभव कर देने की ताकत इन लोगों में होती है। क्योंकि ये साम, दाम, दण्ड, भेद नहीं खेलते। इनकी अपनी जुबान, अपना ज्ञान और अपना दुख तकलीफ में किया हुआ प्रैक्टिकल इतना बड़ा हथियार होता है कि ये जिंदगी में कभी हारते नहीं हैं। सौ बार हारे फिर खड़े हो जाएंगे; इनकी ये खासियत होती है। पर अगर बुरे वयसनों में गए तो एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी चक्कर में ही अपनी ऐसी बुद्धि घूमेगी कि ये आदमी असली काम को भूल जाएंगे, नकली जिंदगी जीकर अपने आप को बर्बाद कर जाएंगे। फिर तीसरा बताता हूँ।

 

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इन सारे खोलों के अंदर जो आधार है, वो है बुध। बुध को अच्छा और बुरा जांचना बहुत जरूरी है। बुध अगर चंद्रमा के साथ बैठ गया तो सिवाय दुख के कुछ नहीं देगा। ये कहाँ पर दुख देगा? ऐसा इंसान जहाँ पर भी जिसका चंद्र बुध का संबंध बन जाए, चाहे दृष्टि से चाहे साथ से; यह बन रहा है। ऐसे घर के आसपास, ऐसा बच्चा जहाँ रहता है वहां अगर कोई पानी की टंकी ऐसी है जिस तक सीढ़ियाँ जाती हैं, यह घर की छत पर हो या घर के आसपास में हो, वो आदमी 100 प्रतिशत दुख पाएगा ही पाएगा। उसके घर में पैसे, प्रॉपर्टी की दिक्कत, माँ को तकलीफें, बाप को भी कोई कोई बड़ी बीमारी और अपने जीवन के अंदर धोखे फरेब या अपने आप को तकलीफें, स्पोर्ट मिले, ये उसे कर्म मिलना होता है। चंद्र बुध का संबंध भी इस तरह से बुरा है। और चंद्रमा एक मंगल को छोड़कर के, बाकी किसी भी तरह के पापी ग्रह के साथ में हो, उसमें मंगल के साथ में ना हो, मंगल की दृष्टि ना हो तो आदमी चालाकी से फिर भी कमा सकता है; तेजी से चला सकता है या एक मीठी बोली बोलकर, क्योंकि कॉन्फिडेंस में कमी जाती है, तो मीठी बोली बोलकर अपने काम निकलवा सकता है। वो बात अलग है कि माँ को भी तकलीफ रहेगी, प्रॉपर्टी के भी पेपर उलटपलट होंगे, लेकिन होंगे या कर्जा भी हो सकता है। लेकिन बहुत बुरा नहीं होगा, लेकिन मंगल का भी संबंध हो जाए और पापी ग्रह का भी चंद्रमा के साथ संबंध हो जाए तो जिंदगी नर्क बनकर रह जाती है। उपाय आप सब को मैं बता चुका हूँ। 

 

जन्म कुंडली के अंदर चंद्रमा हो तो क्या होगा?

 

तो यही कारण है कि जन्म कुंडली के अंदर एकमात्र चंद्रमा ऐसा है जो हमारे मैक्सिमम सुख और मैक्सिमम दुखों का कारण बनता है, क्योंकि इस धरती के ऊपर चाहे कोई जीवजंतु है, और चाहे कोई इंसान है; खेल किसके लिए रहा है? जर, जोरु, जमीन के लिए खेल रहा है और उसे कुछ नहीं चाहिए। बाकी तो हमने ये सारी चीजें, ये सारे शौक पाल लिए हैं। लेकिन चाहिए हर किसी को जर, जोरु, जमीन और कुछ नहीं। और जर, जोरु, जमीन का जो आधार है वो है चंद्रमा। और यही कारण है कि हमारे ऋषिमुनियों ने हमें संस्कार के रूप में क्या दिया; सबसे पहले अपने बड़ों के पांव हाथ लगाना, जिसके भी मन के ऊपर पत्थर रहता है ना और बड़ों को देखते ही मन तो करता है कि इसके पांव को हाथ लगाए। लेकिन अकड़ा रहता है, समझ लो इसका चंद्रमा खराब है, इसकी बडो से नहीं बनेगी। इसी को घमंड बोलते हैं। वो बड़ा नहीं बनेगा कभी भी।

 

और दूसरा फिर भी झुकने के लिए क्या बनाया? हमें रोज शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कहा गया, चंद्रमा अच्छा करने के लिए, मंदिर में जाते हैं मीठी फुलिया लेकर जाते हैं, बताशे लेकर जाते हैं या मिश्री चढ़ाते हैं, यह विधान भी इसलिए बनाया गया कि चंद्रमा को अच्छा रख सके और जो देशी घी का हलवा हम बनाकर बाँटते हैं, जो साल में दो बार हम नवरात्रों में भी करते हैं, और भी बहुत सारे मौकों पर हम यह बाँटते हैं। यह चंद्र और बुध इसकी दुषिता को खत्म करने के लिए, इसके दूषितपन को खत्म करने के लिए यह बाँटा जाता है। इसलिए घर में अगर कोई तकलीफ हो, बहुत ज्यादा तकलीफें आती हों तो हर बुधवार को पाँच कन्याओं को देशी घी का हलवा – पूरी खिलाना शुरू कर दो। घर से मुसीबतें आपको पहले तीन चार महीनों में ही दूर जाती हुई नजर आ जाएंगी। और सारे सुख पाओगे।

 

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