सनातन धर्म में हर त्योहार, पर्व और उपवास को महत्वपूर्ण माना गया है। Tulsi Vivah भी उन्हीं में से एक पर्व है। विविधताओं से भरे हिंदू धर्म में अनगिनत धार्मिक अनुष्ठानों को प्रत्येक वर्ष त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इन्हीं में सम्मिलित है तुलसी विवाह। तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है और हर साल शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।
लेकिन इस विवाह का आयोजन क्यों होता है? हिंदू धर्म में रुचि रखने वाले और सनातन धर्म के अनुयायियों को इसके बारे में पूर्ण जानकारी होगी, लेकिन इस लेख के जरिए हर उस व्यक्ति को Tulsi Vivah 2024 के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी जो इसे जानने में रुचि रखते हैं।
तुलसी विवाह 2024 (TULSI VIVAH 2024)
जैसा कि हमने बताया, तुलसी विवाह का आयोजन प्रत्येक वर्ष शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल, यानी 2024 में तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर को किया जाएगा।
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तुलसी विवाह के पीछे की कहानी (Tulsi Vivah Story)
वृंदा का पतिव्रता धर्म हुआ भंग
हिंदू ग्रंथों में TULSI VIVAH के पीछे जिस कथा का वर्णन है, उसमें बताया गया है कि एक कन्या जिसका नाम वृंदा था, उसका विवाह अमृत मंथन के दौरान उत्पन्न हुए राक्षस जलंधर से हुआ था। वृंदा का विवाह भले ही एक राक्षस से हुआ था, परंतु वह स्वयं भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। इसके साथ ही, उसका अपने पति के प्रति भी गहरा निष्ठा भाव था। उसके इसी पतिव्रता गुण के कारण जलंधर बेहद शक्तिशाली हो गया था, लेकिन जलंधर के आतंक से देवता परेशान हो गए और उन्होंने भगवान भोलेनाथ की शरण ली।
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भोलेनाथ ने जलंधर का वध करने का प्रयत्न किया, लेकिन वृंदा का पतिव्रता धर्म जलंधर की ढाल बना हुआ था। इसी कारण सभी देवता, भगवान शिव समेत, भगवान विष्णु के पास गए और उनसे समस्या हल करने का आग्रह किया। भगवान विष्णु ने देवताओं की विनती स्वीकारते हुए जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के समीप जाकर उसे स्पर्श किया, जिससे वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और उसी समय भोलेनाथ ने जलंधर का वध कर दिया।
भगवान विष्णु को मिला श्राप
जलंधर के वध के बाद, वृंदा को पता चला कि देवताओं और स्वयं भगवान विष्णु ने उसके साथ छल किया है। एक पतिव्रता स्त्री का धर्म भंग करने के कारण भगवान विष्णु उसके क्रोध का शिकार बने और वृंदा ने उन्हें पत्थर बनने का श्राप दे दिया। वृंदा के श्राप को स्वीकारते हुए भगवान विष्णु पत्थर रूप में परिवर्तित हो गए, जिसे शालिग्राम नाम दिया गया।
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तुलसी संग शालिग्राम का विवाह
भगवान विष्णु के पत्थर बन जाने के बाद, मां लक्ष्मी ने वृंदा से विनती की, कि वह अपना श्राप वापस ले ले। माता लक्ष्मी के आग्रह पर वृंदा ने श्राप को वापस तो ले लिया, लेकिन अपने पति की मृत्यु और अपने पतिव्रता धर्म के नष्ट होने पर उसने आत्मदाह कर लिया। जिस जगह वृंदा ने आत्मदाह किया, उस राख से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। इसके बाद भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि इस तुलसी के पौधे का विवाह उनके पत्थर स्वरूप शालिग्राम से किया जाएगा। तभी से Tulsi Vivah की यह प्रथा प्रचलित हुई, जिसका वर्णन हमारे ग्रंथों में भी मिलता है।
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शादीशुदा जोड़ों के लिए तुलसी विवाह क्यों है जरूरी? (Why is Tulsi Vivah important for married couples?)
तुलसी विवाह का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि यदि शादीशुदा जोड़ा मिलकर तुलसी विवाह करवाता है, तो इससे उनके वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती हैं और उनके दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति अपने विवाह की इच्छा रखता है, तो वह भी तुलसी विवाह के दिन तुलसी मां और भगवान शालिग्राम का विवाह करवा सकता है, जिससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
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तुलसी विवाह सजावट (Tulsi Vivah Decoration)
जिस प्रकार आम व्यक्ति अपने घर-परिवार में शादी समारोह में सजावट करता है, उसी तरह तुलसी विवाह के समय भी सजावट का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं कि किस प्रकार की सजावट से इस पर्व को और भी खास बना सकते हैं:
मंडप बनाएं: Tulsi Vivah की सजावट के लिए आप तुलसी के आसपास मंडप बनाएं। सबसे पहले चारों ओर एक छोटा सा मंडप बनाएं जिसमें केले के पत्ते, आम के पत्ते और फूलों का उपयोग करें। मंडप को सुंदर और रंगीन कपड़ों और लाइट्स से सजाएं।
तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का श्रृंगार: मंडप बनाने के बाद आप तुलसी माता को नए वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसी तरह शालिग्राम भगवान को गोपी चंदन और पीले रंग के वस्त्रों से सजाएं।
तुलसी विवाह रंगोली (Tulsi Vivah Rangoli): तुलसी विवाह के दौरान आप तुलसी के पौधे के आस-पास सुंदर रंग-बिरंगी रंगोली बनाएं। इसी के साथ घर के मुख्य द्वार पर भी रंगोली बनाकर तुलसी विवाह की तैयारियों में चार चांद लगाएं।
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तुलसी विवाह पूजा (Tulsi Vivah Puja)
तुलसी पूजा की शुरुआत के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और उसके बाद घर व मंदिर की अच्छे से सफाई करें। तत्पश्चात, शाम के समय तुलसी विवाह की तैयारियों को शुरू करें। घर की सजावट करें और तुलसी के पौधे को घर के आंगन में या छत पर केंद्र में रखें। उनके साथ शालिग्राम भगवान को भी स्थापित करें। अब उपरोक्त विधि अनुसार मंडप बनाएं, सजावट करें, तुलसी माता और भगवान शालिग्राम जी का श्रृंगार करें, पूजन सामग्री अर्पित करें और पवित्र धागे से उनका गठबंधन कर पूजा आरंभ करें।Tulsi Vivah 2024 के दौरान विवाह के गीत गायें और धूप-दीप जलाकर प्रसाद अर्पण कर विवाह संपन्न करें। इसके पश्चात प्रसाद का वितरण सभी में करें।
निष्कर्ष
तुलसी विवाह का आयोजन कर आप अपने दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियों को हल कर सकते हैं। शादीशुदा जोड़ों के लिए तुलसी विवाह करवाना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इसी के साथ शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले कुंवारी कन्याएं और पुरुष भी तुलसी विवाह का आयोजन कर सकते हैं, ताकि उन्हें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त हो सके। हमें आशा है कि इस लेख से आपको Tulsi Vivah से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न TULSI VIVAH 2024 के दौरान -
प्रश्न 1: क्या तुलसी विवाह का आयोजन सिर्फ वैवाहिक जोड़े ही कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं! तुलसी विवाह का आयोजन शादीशुदा जोड़ों के अलावा कुंवारी कन्याएं और पुरुष भी शीघ्र विवाह की मनोकामना पूर्ति के लिए कर सकते हैं।
प्रश्न 2: तुलसी विवाह का क्या महत्व है? (TULSI VIVAH SIGNIFICANCE)
उत्तर: हिंदू ग्रंथों में तुलसी विवाह का वर्णन है, जिसमें तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का रूप और शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु का रूप बताया गया है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने से दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
प्रश्न 3: 2024 में तुलसी विवाह कब है? (When is Tulsi Vivah in 2024)
उत्तर: तुलसी विवाह का आयोजन प्रत्येक वर्ष शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है, इस साल, यानी 2024 में Tulsi Vivah का आयोजन 13 नवंबर को किया जाएगा।
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