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रोहिणी व्रत 2025: जानें इस व्रत को रखने के लाभ एवं महत्व!

हिंदू धर्म में व्रत और उपवास का खास महत्व होता है। कई तारीखों और नक्षत्रों से जुड़े ये उपवास जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने में मददगार माने जाते हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण और जरूरी व्रत है रोहिणी व्रत, जिसका संबंध रोहिणी नक्षत्र से माना जाता है। जब किसी दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र होता है, तब उस दिन रोहिणी व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसका बहुत महत्व माना जाता है।

 

रोहिणी व्रत 2025 की तिथि और समय (Rohini Vrat 2025 Date and Time)

 

इस साल रोहिणी व्रत 06 मार्च 2025, गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय के समय रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जिसके कारण यह व्रत इस दिन ही मनाया जाएगा। रोहिणी व्रत 06 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रहा है और समापन 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर होगा। इस दिन व्रत रखने से सभी दुखों और समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है इसलिए इस व्रत का बेहद महत्व माना जाता है।

 

रोहिणी व्रत का महत्व जानिए (Know the Importance of Rohini Fast)

 

किसी भी व्रत को करने से पहले हमें उसके महत्व को जानना चाहिए, इसलिए अब हम आपको रोहिणी व्रत से जुड़े महत्व को बताने जा रहे हैं। जैसे कि

 

1. धन और समृद्धि – इस व्रत को करने से धन में लाभ होना शुरू हो जाता है और साथ ही आर्थिक संकट दूर होते हैं। रुका पैसा वापस आने लगता है।

 

2. स्वास्थ्य और दीर्घायु – इस व्रत को रखने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उम्र लंबी होती है और साथ ही स्वास्थ्य भी बीमारी मुक्त रहता है।

 

3. ग्रहों की शांति – रोहिणी नक्षत्र का संबंध चंद्रमा से होता है, इसलिए इस दिन व्रत करने से चंद्र दोषों का निवारण होता है। चंद्र दोष से मानसिक तनाव आता है जो इस व्रत को रखने के बाद खत्म हो जाता है।

 

4. धर्म और आध्यात्मिक उन्नति – रोहिणी व्रत को धर्म और भक्ति की नज़र से अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक विकास होता है। साथ ही, इसको हिंदू धर्म में दुःख निवारण व्रत भी कहा जाता है।

 

5. सौभाग्य में वृद्धि – महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भी करती हैं और इसे सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।

 

रोहिणी व्रत की पूजा-विधि (Worship Method of Rohini Fast)

 

रोहिणी व्रत को करते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि सभी व्रतों की पूजा विधि दूसरे व्रतों से अलग मानी जाती है। ऐसे में आपको किसी भी व्रत की सही पूजा विधि का पता होना चाहिए। रोहिणी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:

 

1. स्नान और संकल्प – प्रातःकाल अर्थात सुबह उठकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी का ध्यान करें।

 

2. भगवान विष्णु की पूजा – भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामना पूरी करते हैं।

 

3. कलश स्थापना – घर के मंदिर में एक कलश स्थापित करें और उसके ऊपर नारियल रखें। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। माँ लक्ष्मी आर्थिक तंगी को खत्म करती हैं।

 

4. विशेष मंत्रों का जाप – इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ये मंत्र भगवान विष्णु से जोड़ा हुआ माना जाता है।

 

5. व्रत कथा का पाठ – इस दिन रोहिणी व्रत कथा का पाठ करना जरूरी होता है। क्योंकि व्रत कथा सुनकर ही इस व्रत का समापन होता है।

 

6. धूप, दीप और फूल अर्पण – भगवान को धूप, दीप, पुष्प और अक्षत अर्पित करें। इससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा सकारात्मक होती है और वातावरण में भी सकारात्मकता आती है।

 

7. भोग प्रसाद – भगवान को खीर, फल, और पंचामृत का भोग लगाएं। भगवान को भोग जरूर लगाना चाहिए क्योंकि इससे अन्नपूर्णा माँ प्रसन्न होती हैं।

 

8. दान पुण्य – व्रत के समापन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। कलियुग में दान सर्वोपरी माना जाता है इसलिए दान जरूर करें।

 

रोहिणी व्रत की कथा (Story of Rohini Fast)

 

इस कथा के मुताबिक, जो भी भक्त इस व्रत को रखता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। प्राचीन काल में एक राजा की रानी ने संतान प्राप्ति के लिए रोहिणी व्रत किया था। रोहिणी व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा हुई और उन्हें एक सुंदर और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।

 

रोहिणी व्रत के लाभ क्या होते हैं?

 

इस व्रत को करने से आपको कई लाभ प्राप्त होते हैं, इसलिए अब हम आपको उन लाभों के बारे में बताएंगे जो इस व्रत को करने से मिलते हैं। जो कि इस प्रकार हैं –

 

1. दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता आती है।

 

2. संतान सुख और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

 

3. मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति मिलती है।

 

4. ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।

 

5. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

रोहिणी व्रत से जुड़े खास नियम

 

जैसा कि हमने आप सभी को पहले ही बताया था कि इस व्रत को करते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि –

 

1. पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। क्योंकि पवित्रता बनी रहनी चाहिए। साथ ही मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।

 

2. व्रत के दिन तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज) का सेवन बिल्कुल करें। क्योंकि ऐसे भोजन के सेवन से भगवान विष्णु क्रोधित हो जाते हैं।

 

3. किसी भी प्रकार के झूठ, छल-कपट और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। अपने विचारों में सकारात्मकता लेकर आएं।

 

निष्कर्ष

 

रोहिणी व्रत 2025 एक जरूरी और महत्वपूर्ण व्रत है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति को लेकर आता है। इस साल 06 मार्च 2025 को यह व्रत रखा जाएगा, इसलिए यदि आप भी इस व्रत का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो विधिपूर्वक इसका पालन करें और अपने जीवन में खुशहाली लाएं। इसे करने से सभी भक्त को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की खास कृपा प्राप्त होती है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

2025 में रोहिणी व्रत किस दिन मनाया जाएगा?

 

इस साल रोहिणी व्रत 06 मार्च 2025, गुरुवार को रखा जाएगा।

 

रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त कब है?

 

06 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रही है और तारीख का समापन 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर होगा।

 

रोहिणी व्रत का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र है। इस नक्षत्र में व्रत करने से चंद्र दोष शांत होता है और मन को शांति मिलती है। क्योंकि इससे कुंडली में चंद्रमा ताकतवर हो जाता है। साथ ही, जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें इस व्रत को करने की सलाह दी जाती है।

 

रोहिणी व्रत कौन-कौन रख सकता है?

 

स्त्री और पुरुष दोनों इस व्रत को रख सकते हैं। लेकिन विवाहित महिलाएं अगर इस व्रत को करती हैं तो उनके अपने परिवार की खुशहाली में वृद्धि आती है और यह व्रत विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों के लिए जरूरी होता है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसे ग्रह शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। पुरुष अपने व्यापार एवं स्वास्थ्य के लिए यह व्रत कर सकते हैं।

 

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