फुलेरा दूज हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। यह त्यौहार होली से पहले मनाया जाता है और यह त्यौहार उत्तरी भारत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। साथ ही इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्यार व होली उत्सव से जोड़ा जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, यानी किसी भी शुभ काम के लिए पंचांग देखने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए शादी, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, सगाई आदि के लिए यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप ऐसे ही दूसरे ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोसाइंस पर पढ़ सकते हैं।
फुलेरा दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:10 से 12:57 बजे तक
प्रातः संध्या: सुबह 05:32 से 06:46 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:29 से 03:16 बजे तक
गोधूलि मुहर्त: शाम 06:19 से 06:43 बजे तक
त्रिपुष्कर योग: सुबह 06:46 से 11:22 बजे तक
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 01 मार्च 2025 को सुबह 03 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और इसका 02 मार्च 2025 को 12 बजकर 09 मिनट पर समापन होगा। इस दिन खास तौर से श्रीकृष्ण के मंदिरों में उत्सव का आयोजन किया जाता है और भक्तजन श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं।
फुलेरा दूज का महत्व
फुलेरा दूज का संबंध विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी से है। यह दिन उनके राधा संग होली खेलने की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जो कि फूलों के साथ खेली जाती है।
अबूझ मुहर्त
हिंदू धर्म में यह दिन इतना शुभ माना जाता है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की ज़रूरत नहीं होती। आप किसी भी शुभ कार्य को इस दिन कर सकते हैं।
रंगों का उत्सव
इस दिन वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, जहां श्रीकृष्ण के भक्त गुलाल और फूलों की होली खेलते हैं। ये होली के शुरू होने का दिन माना जाता है।
भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम
यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र होता है और विशेष रूप से श्रीकृष्ण मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
शुभ विवाह योग
इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय गणना के विवाह किया जा सकता है। यह इतना शुभ दिन है कि आप इस दिन विवाह भी बिना किसी शुभ मुहर्त के कर सकते हैं।
फुलेरा दूज की पूजा विधि
फुलेरा दूज पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है: इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर को साफ करें और फूलों व रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाएं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को गुलाल और अबीर अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्ति को गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराएं। इस दिन से होली के उत्सव की शुरुआत मानी जाती है, भगवान को ताजे फल, मिष्ठान्न, पंचामृत, तुलसी दल और अन्य भोग अर्पित करें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना इस दिन विशेष फलदायी होता है। भगवान श्रीकृष्ण के भजन और कीर्तन करें तथा राधा-कृष्ण की महिमा का गुणगान करें।
फुलेरा दूज के दिन वृंदावन, मथुरा, द्वारका और नाथद्वारा के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दिन मंदिरों में उत्सव का माहौल रहता है और श्रद्धालु बड़ी संख्या में श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आते हैं।
बांके बिहारी मंदिर (वृंदावन): इस मंदिर में फुलेरा दूज के दिन विशेष होली उत्सव मनाया जाता है, जहां भक्तगण गुलाल उड़ाते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
नाथद्वारा (राजस्थान): श्रीनाथजी मंदिर में भी इस दिन विशेष पूजा और रंग उत्सव का आयोजन किया जाता है।
गोपीनाथ मंदिर (जयपुर): यहां भी इस दिन रंगारंग आयोजन किया जाता है और भगवान को अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है।
फुलेरा दूज और होली का संबंध
मंदिरों में इस दिन विशेष रूप से फूलों और गुलाल से होली खेली जाती है। रंगों की होली से पहले फुलेरा दूज पर फूलों की होली खेली जाती है। इस दिन प्रेमी जोड़े एक-दूसरे के साथ फूलों की होली खेलते हैं। फुलेरा दूज को होली के उत्सव की आधिकारिक शुरुआत माना जाता है। इस दिन से ही होली के रंगों का उत्साह बढ़ जाता है, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ ब्रज में होली खेली थी। माना जाता है कि फूलों की होली खेलने से शादीशुदा संबंध और गहरे होते हैं।
फुलेरा दूज पर किए जाने वाले शुभ कार्य
आध्यात्मिक साधना – इस दिन ध्यान, योग और मंत्र जाप करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर घरेलू जीवन या प्रेम संबंधों में कोई समस्या चल रही है, तो भगवान कृष्ण और राधा जी को पीले रंग के वस्त्र और पीले रंग के फूल अर्पित करें।
गृह प्रवेश – इस दिन नया घर खरीदने या गृह प्रवेश करने के लिए उत्तम समय माना जाता है।
नए व्यापार की शुरुआत – यदि आप नया व्यवसाय या कार्य शुरू करना चाहते हैं तो यह दिन शुभ रहेगा।
विवाह – इस दिन विवाह के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह दिन स्वाभाविक रूप से शुभ माना जाता है। अगर मनचाहा लाइफ़ पार्टनर पाना चाहते हैं, तो राधा-कृष्ण की विधिवत पूजा करने के बाद एक साफ कागज़ पर केसर से अपने साथी का नाम लिखें और इसे राधा-रानी के चरणों में रख दें।
नामकरण संस्कार – इस दिन बच्चों के नामकरण संस्कार किए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत विशेष माना जाता है। फुलेरा दूज एक शुभ और पवित्र पर्व है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। फुलेरा दूज, होली से जुड़ा एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ फूलों की होली खेली थी। इसलिए इसे फुलेरा होली भी कहा जाता है। यदि आप भी इस दिन किसी शुभ कार्य की योजना बना रहे हैं तो यह सबसे उत्तम समय है।