चैत्र नवरात्रि 2025 के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कुष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है और इनकी आराधना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना का पावन अवसर होता है। इस लेख में हम माँ कुष्मांडा की पूजा विधि, महत्व, कथा और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ कुष्मांडा का स्वरूप और अर्थ
माँ कुष्मांडा का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – "कु" (अल्प) + "उष्मा" (ऊर्जा) + "अंडा" (ब्रह्मांड) । इसका अर्थ है वह देवी जिन्होंने अल्प ऊर्जा से ब्रह्मांड की रचना की। माँ कुष्मांडा को सूर्यलोक की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है और इनकी आठ भुजाएँ हैं। इनके हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला सुशोभित होती हैं। इनका वाहन सिंह है और यह हमेशा मुस्कुराती हुई प्रतीत होती हैं।
चैत्र नवरात्रि 2025 में चौथे दिन का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2025 का चौथा दिन 1 अप्रैल, मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन माँ कुष्मांडा की पूजा के लिए शुभ समय निम्नलिखित है:
● सुबह का पूजा समय (प्रातः काल): 06:00 AM से 10:00 AM
● अभिजीत मुहूर्त: 11:50 AM से 12:40 PM
● सायंकाल पूजा समय: 04:00 PM से 06:30 PM
इस दिन हस्त नक्षत्र का प्रभाव रहेगा, जो पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है।
माँ कुष्मांडा की पूजा का महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। इनकी उपासना से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं:
1. धन-समृद्धि: इनकी पूजा से आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
2. सूर्य ग्रह के दोषों से मुक्ति: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर हो, उन्हें माँ कुष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
3. मानसिक शांति: इनकी आराधना से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
4. स्वास्थ्य लाभ: माँ कुष्मांडा की कृपा से रोगों का नाश होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
माँ कुष्मांडा की पूजा विधि
माँ कुष्मांडा की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
1. सुबह की तैयारी
● प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
● पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल कपड़ा बिछाएं।
● माँ कुष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
2. मंत्र जाप
माँ कुष्मांडा के इस मंत्र का 108 बार जाप करें: मंत्र: "ॐ देवी कुष्मांडायै नमः॥"
माँ कुष्मांडा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब माँ कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इन्होंने ही सूर्यलोक को ऊर्जा प्रदान की और समस्त जीवों को जीवन दान दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ, तब माँ कुष्मांडा ने अपनी शक्ति से अंधकार को दूर किया और देवताओं की विजय सुनिश्चित की।
माँ कुष्मांडा को प्रसन्न करने के विशेष उपाय
● कमल के फूल अर्पित करने से विशेष फल मिलता है।
● गुड़ और घी का दान करने से माँ प्रसन्न होती हैं।
● यदि संभव हो, तो नवचंडी पाठ का आयोजन करें।
● इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें।
निष्कर्ष
इस दिन श्रद्धा भाव से पूजा करने पर माँ अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देती हैं। चैत्र नवरात्रि 2025 के इस पावन अवसर पर माँ कुष्मांडा की कृपा प्राप्त करने के लिए उपरोक्त विधि से पूजन करें और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें। माँ कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है और यह स्वास्थ्य, धन तथा ऊर्जा प्रदान करने वाली मानी जाती हैं।
माँ कुष्मांडा से जुड़े सवाल जवाब (FAQs)
1. माँ कुष्मांडा की पूजा किस दिन की जाएगी?
माँ कुष्मांडा की पूजा चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन 1 अप्रैल 2025 को की जाएगी।
2. माँ कुष्मांडा को किसका भोग लगाया जाता है?
माँ कुष्मांडा को कद्दू का भोग लगाना चाहिए क्योंकि यह अत्यंत शुभ माना जाता है।
3. माँ कुष्मांडा को सबसे प्रिय कौन सा रंग है?
देवी कुष्मांडा को सबसे प्रिय पीला रंग है।
4. माँ कुष्मांडा का वाहन कौन सा है?
देवी कुष्मांडा का वाहन सिंह है।
5. माँ कुष्मांडा की पूजा का क्या महत्व है?
माँ कुष्मांडा की पूजा करने से उनके सभी भक्तों के रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं।