हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की तिथि का अपना एक विशेष महत्व होता है और हर माह की त्रयोदशी तिथि का भी बहुत खास महत्व है। इस दिन प्रदोष व्रत होता है। जिस तरह एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार प्रदोष का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है।
एस्ट्रोसाइंस के इस ब्लॉग में आपको Pradosh Vrat का मतलब, महत्व, व्रत विधि, और इससे जुड़ी कथा के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारियां प्राप्त होंगी।
क्या है प्रदोष व्रत? (What is Pradosh Vrat?)
हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष तिथि की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है और हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं। सूर्यास्त के बाद और रात से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है और प्रदोष काल को शिव की भक्ति के लिए उत्तम माना जाता है। इसलिए प्रदोष व्रत में भगवान शिव की भक्ति की जाती है। इस वर्ष का आखिरी Pradosh Vrat 28 दिसंबर, शनिवार के दिन होगा, इसलिए यह शनि प्रदोष व्रत होगा। क्योंकि यह प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा करना भी शुभ फलदायी रहेगा।
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प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Pradosh Vrat)
प्रदोष व्रत को बहुत ही मंगलकारी और फलदायी माना जाता है, मान्यता है कि यह व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं, साथ ही उसे शुभ फलों और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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प्रदोष व्रत को कई नामों से जाना जाता है, जैसे दक्षिण भारत में इसे प्रदोषम नाम से जाना जाता है। कलयुग में प्रदोष व्रत करने से मनुष्य को गाय दान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को क्षय रोग होने के कारण मरने के समान ही कष्ट होता था, जिससे मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उन्हें त्रयोदशी के दिन रोग से मुक्त कर नया जीवन प्रदान किया, जिसके बाद से इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा। सप्ताह के अलग-अलग दिनों में प्रदोष आने से अलग-अलग शुभ फल प्राप्त होते हैं, जैसे इस बार Pradosh Vrat शनिवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
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प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Story)
हिंदू धर्म में हर व्रत या उपवास के पीछे एक कहानी या कोई धार्मिक महत्व छिपा होता है। उसी प्रकार प्रदोष व्रत से संबंधित भी एक कथा है।
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स्कन्दपुराण की एक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मणी और उसका बेटा भिक्षा मांगकर अपनी आजीविका चलाया करते थे। एक रोज जब ब्राह्मणी भिक्षा लेकर लौट रही होती है, तभी उसे नदी किनारे एक बालक दिखाई पड़ता है। उसका नाम धर्मगुप्त था, जो कि विदर्भ राज्य का राजकुमार था, जिसके पिता की मृत्यु युद्ध में हो गई थी और उसे राज्य से बाहर निकाल फेंका था। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना पुत्र समझकर उसे अपने साथ रख लिया। एक रोज ब्राह्मणी अपने दोनों पुत्रों के साथ देव मंदिर पहुंची, जहां विख्यात और ज्ञानी ऋषि शांडिल्य से उस बालक के अतीत के बारे में जानकर बहुत दुखी हुई। तब ऋषि शांडिल्य ने उन्हें प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। तो तीनों ने विधि-विधान से प्रदोष व्रत पूरा किया।
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एक रोज ब्राह्मणी के दोनों बेटे जब वन-विहार कर रहे थे, तो उन्हें गंधर्व कन्याएं नजर आईं, जिनमें से अंशुमति पर धर्मगुप्त मोहित हो गया। जब अंशुमति के पिता को पता चला कि धर्मगुप्त विदर्भ राज्य का राजकुमार है, तो तुरंत ही दोनों का विवाह करवा दिया। विवाह के बाद धर्मगुप्त ने कड़ी मेहनत कर अपनी सेना तैयार की और अपने राज्य पर पुनः जीत प्राप्त की। कुछ समय बाद धर्मगुप्त को ज्ञात हुआ कि उसके जीवन में ये सकारात्मक बदलाव भगवान शिव की कृपा और ब्राह्मणी एवं उसके द्वारा किए गए प्रदोष व्रत के कारण आए हैं। इसलिए मान्यता है कि जो भी विधि-विधान से प्रदोष व्रत कर शिव जी की सच्चे मन से भक्ति करेगा, उसके जीवन से सभी दुख-कष्ट दूर होंगे और जीवन में शुभ परिणाम ही प्राप्त होंगे।
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इस विधि से करें प्रदोष व्रत पूजन
हिंदू पंचांग के अनुसार शाम के समय ही प्रदोष मंत्र का जाप किया जाता है, इसलिए यह समय प्रदोष व्रत पूजन के लिए उत्तम माना जाता है।
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. धूप, दीप, अक्षत, बेलपत्र और कुमकुम थाल में सजाकर भगवान शिव का विधिवत पूजन करें।
3. व्रत संकल्प लें और पूरे दिन आहार ग्रहण न करें।
4. शाम के समय स्नान कर या स्वच्छ होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए “ॐ नमः शिवाय मंत्र” का जाप करें।
5. पूजा संपन्न कर भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में खुद ग्रहण कर वितरित करें।
व्रत एवं उपवास का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है। यह व्रत ही हमारे शरीर को मौसम में आए बदलावों को अपनाने की ऊर्जा प्रदान करता है, साथ ही इनके कारण जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।
हम आशा करते हैं कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको Pradosh Vrat से जुड़ी नवीन और रोचक जानकारियां प्राप्त हुई होंगी।
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