गुरु गोबिंद सिंह जी, सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु, एक महान योद्धा, कवि, भक्त और आध्यात्मिक नेता थे। उनकी जयंती, जिसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है, हर साल उनके जन्मदिवस पर मनाई जाती है। 2025 में, यह पवित्र पर्व 6 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का प्रतीक है।
गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं और विचार
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन सिख धर्म और मानवता की सेवा के प्रति समर्पित था। उन्होंने सत्य, न्याय, और धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया। उनकी मुख्य शिक्षाएं आज भी मानवता को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं:
1. एकता और समानता: गुरु जी ने सिखाया कि सभी मानव एक समान हैं। जाति, धर्म, और वर्ग के भेदभाव से ऊपर उठकर हमें भाईचारे और एकता को अपनाना चाहिए।
2. निडरता और साहस: गुरु जी ने सिख धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने सिखों को निडर होकर धर्म और न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
3. सेवा और त्याग: गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के माध्यम से नि:स्वार्थ सेवा का महत्व दिखाया। उन्होंने मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया।
4. धर्म की रक्षा: गुरु जी ने हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने और अधर्म के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश दिया।
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गुरु गोबिंद सिंह जी का योगदान
गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने सिखों को ‘पांच ककार’ (केश, कड़ा, कृपाण, कंघा, और कच्छा) धारण करने का निर्देश दिया, जो सिखों की पहचान का प्रतीक हैं।
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उन्होंने सिख धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का स्थायी गुरु घोषित किया और इसे "गुरु मान्यो ग्रंथ" के रूप में प्रतिष्ठित किया। यह उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और धर्म की रक्षा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
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गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व:
1. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व: इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
2. समानता और भाईचारे का संदेश: गुरु गोबिंद सिंह जी ने जात-पात, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और समानता, भाईचारे और धार्मिक स्वतंत्रता की शिक्षा दी।
3. साहस और बलिदान का प्रतीक: उनका जीवन साहस और बलिदान का अद्वितीय उदाहरण है, जो हमें सत्य, धर्म और न्याय के लिए खड़े होने की प्रेरणा देता है।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती का उत्सव
गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर सिख समुदाय विशेष कीर्तन, अरदास और गुरुद्वारों में भव्य समारोहों का आयोजन करता है। इस दिन 'नगर कीर्तन' निकाले जाते हैं, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सजाए गए पालकी साहिब में रखा जाता है। संगत इस दौरान गुरु जी की शिक्षाओं को याद करते हुए भजन-कीर्तन करती है।
गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है, जहां नि:शुल्क भोजन सेवा की जाती है। यह सेवा गुरु जी की नि:स्वार्थ भावना और सेवा के सिद्धांत को दर्शाती है।
निष्कर्ष
गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती हमें उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर प्रदान करती है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई, न्याय और मानवता के प्रति निष्ठा कैसे बनाए रखी जाए। 2025 में, आइए हम इस पर्व को उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने और मानवता के लिए उनके आदर्शों को अपनाने के संकल्प के साथ मनाएं।
गुरु गोबिंद सिंह जी के शब्दों में: "देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं टरूं, डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं "
इस जयंती पर हम सभी उनके इस संदेश को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं। इसी के साथ आप सभी को गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ ज्योतिष संस्थान एवं एस्ट्रोसाइंस की ओर से Guru Gobind Singh Jayanti की ढेरों शुभकामनाएं।
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