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गोपाष्टमी: गौ पूजा से पाएं आशीर्वाद और समृद्धि का वरदान

सनातन धर्म में गौ सेवा को महान सेवा कहा जाता है और Gopashtami का पर्व गौ माता को समर्पित होता है। भगवान कृष्ण को भी गायों से बहुत प्रेम और लगाव था, जिसके कारण उन्हें गोविन्द, गोपाल आदि नामों से भी जाना जाता है। हिन्दू संस्कृति में गाय को मां समान माना जाता है क्योंकि जिस प्रकार एक मां अपनी संतान के प्रति स्नेह और प्रेम की भावना रखकर अपना सबकुछ त्याग कर भी किसी फल की इच्छा नहीं रखती, ठीक उसी प्रकार गौ माता भी मनुष्य को कई तरह से लाभ पहुंचाती है। इसी कारण Gopashtami के दिन गौ माता का विधि-विधान से पूजन कर उनका आभार व्यक्त किया जाता है और इस दिन श्री कृष्ण की पूजा भी की जाती है।

 

गोपाष्टमी के पर्व को पूरे भारत में और विशेष तौर से ब्रज में बहुत ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि गौ माता की पूजा करने से शुभ फलों और पुण्यों की प्राप्ति होती है। एस्ट्रोसाइंस के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से आपको Gopashtami पर्व की सही तिथि, गोपाष्टमी से जुड़ी कथा एवं महत्व आदि जानकारियां प्राप्त होंगी।

 

कब है गोपाष्टमी? (When is Gopashtami)

 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है और इस वर्ष Gopashtami का त्योहार 9 नवंबर, शनिवार के दिन मनाया जाएगा।

 

कार्तिक महीने की अष्टमी तिथि 8 नवंबर की रात 11:56 से शुरू होकर 9 नवंबर रात 10:45 तक रहेगी। इस बीच विधि-विधान से गायों की पूजा की जाएगी।

 

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गोपाष्टमी पूजा-विधि

 

1. गोपाष्टमी के दिन गाय, बछड़े और कान्हा जी की पूजा की जाती है।

2. सुबह गाय और बछड़े को नहलाकर तैयार करें।

3. गाय की परिक्रमा करें।

4. गाय को फूलों की माला पहनाएं, और कुमकुम का टीका लगाकर आरती उतारें।

5. गाय को चारा खिलाएं और पैर छूकर प्रणाम करें।

 

यदि आपके पास गाय नहीं है तो आप पास के गौशाला जाकर गौ पूजा कर सकते हैं और पूजा के बाद गौशाला में श्रद्धानुसार दान जरूर करें। Gopashtami के दिन गाय को भोजन कराना बहुत ही शुभफलदाई माना जाता है।

 

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गोपाष्टमी कथा (Gopashtami Story)

 

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रत्येक त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या कारण होता है जो उस त्योहार के सही मायने, महत्व को स्पष्ट करता है। इसी प्रकार Gopashtami के त्योहार के पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, जब श्री कृष्ण 6 वर्ष के हुए तो उन्होंने अपनी मां यशोदा से उन्हें गाय चराने देने की अनुमति मांगी क्योंकि वह गायों की सेवा करना चाहते थे। माता यशोदा ने श्री कृष्ण को बालक समझकर अनुमति लेने के लिए नंदबाबा के पास भेज दिया। उन्होंने श्री कृष्ण को बहुत समझाया लेकिन जब कृष्ण नहीं माने तो उन्होंने पंडित जी को बुलाकर गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त निकालने को कहा।

 

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कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के शुभ मुहूर्त पर श्री कृष्ण द्वारा गौ विधि-विधान से गौ पूजा की गई, जिसके बाद से गोपाष्टमी का पर्व मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई। इस पावन दिन कई श्रद्धालुओं द्वारा व्रत भी रखा जाता है, जिसकी पूर्ति के लिए Gopashtami Story को सुनना आवश्यक होता है। गोपाष्टमी कथा को सुनाने और सुनने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

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क्यों मनाते हैं गोपाष्टमी? (Why is Gopashtami Celebrated)

 

भगवान श्री कृष्ण को गायों से बहुत स्नेह और लगाव था, जिसके कारण छोटी सी आयु में उन्होंने इस तिथि यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को गौ चारण पूजा कर गौ सेवा की शुरुआत की थी, जिसके बाद से इस दिन को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

 

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भविष्य पुराण के अनुसार गाय में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। गोपाष्टमी के दिन गाय और बछड़े के पैर में घूंघरू, सींगों पर चुन्नी और गले में फूलों की माला पहनाकर उनका श्रृंगार किया जाता है। इस दिन सभी कृष्ण मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, साथ ही कृष्ण जी को विशेष प्रसाद का भोग लगाया जाता है।

 

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गोपाष्टमी पर करें यह खास उपाय

 

गोपाष्टमी के शुभ दिन यह खास उपाय अवश्य करें

 

1. काली गाय की सेवा करें।

2. गाय के बछड़े के पैरों में चांदी का कड़ा धारण करवाएं।

3. 100 गायों को हरा चारा खिलाएं।

4. गौ मूत्र को घर के हर कोने में छिड़कें।

 

निष्कर्ष

 

भगवान कृष्ण और गौ माता को समर्पित Gopashtami का यह पर्व पशु और मनुष्य के बीच के अनोखे संबंध को दर्शाता है। गोकुल, मथुरा, ब्रज, वृंदावन में गोपाष्टमी की विशेष धूम देखने को मिलती है।

 

हम आशा करते हैं कि एस्ट्रोसाइंस के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से आपको गोपाष्टमी पर्व के विषय में नवीन और महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने में सहायता मिली होगी।

 

आप सभी को वशिष्ठ ज्योतिष संस्थान एवं एस्ट्रोसाइंस की ओर से Gopashtami की हार्दिक शुभकामनाएं

 

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

 

प्रश्न 1: - गोपाष्टमी कब है?

 

उत्तर: - इस वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि यानी 9 नवंबर को गोपाष्टमी है।

 

प्रश्न 2: - गोपाष्टमी के दिन क्या किया जाता है?

 

उत्तर: -  इस दिन भगवान कृष्ण के साथ गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है।

 

प्रश्न 3: - क्यों मनाई जाती है Gopashtami?

 

उत्तर: -  इस दिन श्री कृष्ण जी द्वारा गौ चारण पूजा की शुरुआत की गई थी, इसलिए गोपाष्टमी मनाई जाती है।

 

प्रश्न 4: - गोपाष्टमी को क्या दान करना चाहिए?

 

उत्तर: - इस दिन चारा, गाय से जुड़ी वस्तुओं का दान करना शुभ फलदाई होता है।
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