माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप माँ कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है और इस वर्ष शरद नवरात्रि का चौथा दिन 6 अक्टूबर, रविवार के दिन पड़ रहा है। माँ कूष्मांडा का स्वरुप अत्यंत तेजस्वी है, माता की आठ भुजाएं है और उन्हें शेरनी पर सवार दर्शाया जाता है, माता के कूष्मांडा स्वरुप की पूजा करने से भक्तों को धन-वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा-विधि
1. सुबह जल्दी स्नान कर नारंगी या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2. मंत्र उच्चारण करते हुए माँ को कुमकुम लगाएं।
3. धूप, दीप जलाकर माँ कूष्मांडा की आरती करें।
4. दुर्गा सप्तशी का पाठ करें।
5. माता को भोग लगाएं ।
6. माता को प्रणाम करते हुए श्रद्धा भाव से प्रार्थना करें।
7. प्रसाद वितरण कर खुद भी ग्रहण करके पूजा का समापन करें।
माँ कूष्मांडा के इन मंत्रो का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृतशेखराम्. सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डायशस्वनीम्॥
ॐ कूष्माण्डायै नम
माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व
मातारानी का कूष्मांडा स्वरुप ब्रह्माण्ड में निवास करता है और ज्योतिष के अनुसार माँ कूष्मांडा सूर्य ग्रह को दिशा और उर्जा प्रदान करती है इसलिए उनकी श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना करने पर सूर्य ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है की लम्बे समय से बीमार चल रहे व्यक्ति को माता की श्रद्धाभाव से अराधना करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है।
माता को प्रिय है मालपुए का भोग
नवरात्रि में माता के प्रत्येक स्वरुप को उसका प्रिय भोग लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, इसी क्रम में माँ दुर्गा के चौथे स्वरुप माँ कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना चाहिए इससे जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है साथ ही माता की पूजा करते हुए लाल रंग का फूल जरूर अर्पित करें।
माँ कूष्मांडा की कृपा आप पर सदैव बनी रहें। जय माता दी!
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27/8/24 12pm dophar m gurugram bachhe ka naam kya hona chahiye kundli ke hisaab se btayen