नवदुर्गा रूपों में माँ कात्यायनी छठा स्वरुप है इनकी उपासना नवरात्रि के छठे दिन की जाती है और इस वर्ष नवरात्रि का छठा दिन 8 अक्टूबर मंगलवार के दिन पड़ रहा है। देवी पार्वती ने दानव महिषासुर का वध करने के लिए माँ कात्यायनी अवतार लिया था। माता कात्यायनी का स्वरुप बहुत ही दिव्य है उनकी चार भुजाएं है जो पुष्पों और तलवार जैसे शस्त्रों से शुशोभित है और माँ सिंह की सवारी करती है। माँ के कात्यायनी स्वरुप की पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
1. प्रातः स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
2. पूजा की थाली तैयार कर दीप प्रज्जवलित करें।
3. मंत्रोचार कर माँ को कुमकुम, पुष्प चढ़ाएं।
4. माँ कात्यायनी की आरती करें।
5. दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशी का पाठ करें।
6. माता को भोग लगाएं।
7. श्रद्धाभाव से प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें।
माँ कात्यायनी के इन मंत्रो का उच्चारण करें
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ ह्रीं नमः॥
नवरात्रि के छठे दिन एवं माँ कात्यायनी स्वरुप का महत्व
ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में माँ कात्यायनी ने अवतार लिया था और क्रूर राक्षस महिषासुर का वध कर उसके अत्याचारों से तीनों लोकों को मुक्ति दिलाई थी। नवरात्र का छठा दिन माँ कात्यायनी की पूजा के कारण विशेष महत्व रखता है। ज्योतिष के अनुसार माँ कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को शासित करती है इसलिए इनकी श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है। माता का यह रूप हिंसक माना जाता है एवं उन्हें युद्ध की देवी भी कहा जाता है।
माँ कात्यायनी को जरूर लगाएं यह भोग
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करते हुए उन्हें शहद या शहद वाली खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है साथ ही माँ को पीले रंग के फूल अर्पित करने से भी जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं।
माँ कात्यायनी का आशीर्वाद आपके और आपके परिवार पर बना रहे। जय माता दी!