श्री बगलामुखी यंत्र हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली यंत्र माना जाता है। यह यंत्र दस महाविद्याओं में से एक देवी बगलामुखी से जुड़ा हुआ है, जिनका प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह यंत्र शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए जाना जाता है। देवी बगलामुखी को "पीताम्बरा देवी" भी कहा जाता है, क्योंकि वह पीले कमल पुष्पों से भरे अमृत सागर के मध्य एक स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान रहती हैं और पीले रंग की पोशाक धारण करती हैं। उनकी शक्ति शत्रुओं को नियंत्रित करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करती है। बगलामुखी देवी माँ दुर्गा का तांत्रिक स्वरूप हैं। आप इस शक्तिशाली यंत्र, श्री बगलामुखी यंत्र को हमारी वेबसाइट astroscience से उचित मूल्यों पर खरीद सकते हैं।
श्री बगलामुखी यंत्र का महत्व
● शत्रु बाधाओं से मुक्ति - यह यंत्र आपके शत्रुओं को आपसे दूर रखता है और आपके जीवन में सुख-शांति लाता है। आपके खिलाफ बनाई गई योजनाओं के प्रभाव को रोकता है, साथ ही उन बुरी शक्तियों के प्रभाव को भी कम करता है, जिनसे आपको किसी भी तरह की हानि पहुँच सकती है।
● न्यायिक मामलों में सफलता - जैसा कि हमने आपको बताया, यह यंत्र आपके शत्रुओं की नकारात्मक शक्ति के प्रभाव को कम करता है। साथ ही यह यंत्र न्यायिक विवादों में विजय एवं समस्त प्रकार की प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने में सहायक है। यह यंत्र न केवल शत्रुओं को शांत करने में मदद करता है, बल्कि वाद-विवाद, न्यायिक मामलों, और व्यापार में सफलता दिलाने में भी सहायक होता है।
● मानसिक शांति और आत्मविश्वास - यह यंत्र आपके जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है, जिससे आपको मानसिक शांति प्राप्त होती है। नकारात्मक ऊर्जा को कम करके यह आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
● नकारात्मक ऊर्जा का नाश - यह यंत्र वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है, जिससे आपके जीवन में खुशियाँ आती हैं। इस यंत्र की साधना से व्यक्ति को आत्मविश्वास, मानसिक शांति और वाणी में प्रभावशीलता प्राप्त होती है।
● आर्थिक सफलता - श्री बगलामुखी यंत्र आपके जीवन में राज योग लेकर आता है। बगलामुखी यंत्र को घर, पूजा स्थल या व्यापारिक स्थल में स्थापित करने से वातावरण सकारात्मक और सुरक्षित बना रहता है, जिससे आर्थिक सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्थापना विधि:
बगलामुखी यंत्र की स्थापना रात में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय यंत्र की ऊर्जा अधिक शक्तिशाली होती है। इस यंत्र को स्थापित करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से इसे अभिमंत्रित करा लेना चाहिए ताकि आपको शीघ्र इसका पूर्ण लाभ मिल सके। अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि श्री बगलामुखी यंत्र की पूजा विधि क्या है और इसकी स्थापना करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. शुद्धिकरण: यंत्र को गंगाजल या शुद्ध जल से साफ करें। इसके बाद ही इसकी स्थापना करनी चाहिए। यंत्र को पवित्र करना अतिआवश्यक है।
2. स्थापना: इसे पीले कपड़े या चौकी पर स्थापित करें, क्योंकि उन्हें पीले रंग की पोशाक धारण किए चित्रित किया गया है।
3. पूजा: देवी बगलामुखी की मूर्ति या चित्र के सामने यंत्र को रखकर धूप, दीप, पीले फल-फूल और पीले रंग का प्रसाद अर्पित करें। बगलामुखी यंत्र की स्थापना और नियमित पूजा के वक्त पीला वस्त्र धारण करें और पीले आसन पर ही बैठें।
4. मंत्र जाप: "ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे आपके जीवन में आत्मविश्वास जागृत होगा।
5. ध्यान: यंत्र के सामने बैठकर देवी बगलामुखी का ध्यान करें और उनसे शत्रु बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करें। ध्यान करने से माँ बगलामुखी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करेंगी।
सावधानियां:
● बगलामुखी यंत्र को पश्चिम या पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। यंत्र को हमेशा साफ और पवित्र स्थान पर रखें। साथ ही अपनी स्वच्छता पर भी ध्यान दें।
● इसे किसी अन्य व्यक्ति को छूने न दें, क्योंकि इससे यंत्र अपवित्र हो सकता है।
● नियमित रूप से इसकी पूजा करें और मंत्र जाप करें। विशेष रूप से ‘ॐ ह्लीं बगलामुखी नमः’ मंत्र का जप इस यंत्र की शक्ति को सक्रिय करता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में शत्रु बाधाओं से मुक्त होना चाहते हैं, उनके लिए श्री बगलामुखी यंत्र एक अचूक उपाय है।
श्री बगलामुखी देवी से जुड़ी कथाएँ
मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल लोक में छिप गया। उसे यह वरदान प्राप्त था कि पानी में कोई मनुष्य या देवता उसे मार नहीं सकता। इस संकट के समय ब्रह्मा जी ने मां भगवती की आराधना की, जिससे मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुले का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और ब्रह्मा जी को उनका ग्रंथ वापस लौटाया।
रावण पर विजय पाने और लंका जीतने के लिए श्रीराम चंद्र जी ने शत्रु विनाशिनी मां बगलामुखी की आराधना की थी। बाद में, अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी मां बगलामुखी का मंदिर बनवाकर उनकी पूजा-अर्चना की।
निष्कर्ष
मंदिर के पुजारी सचिन शर्मा बताते हैं कि मंदिर के साथ ही एक प्राचीन शिवालय है, जहां आदमकद शिवलिंग स्थापित है। लोग मां के दर्शन के बाद यहां जलाभिषेक करते हैं। यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। पांडुलिपियों में मां के जिस स्वरूप का वर्णन मिलता है, मां उसी रूप में यहां विराजमान हैं।
श्री बगलामुखी यंत्र का उपयोग करते समय श्रद्धा और विश्वास के साथ-साथ सही विधि का पालन करना आवश्यक है। यह यंत्र व्यक्ति को जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और सफलता प्रदान करने में मदद करता है। इस यंत्र का प्रभाव तभी सिद्ध होता है जब इसे विधिपूर्वक स्थापित कर प्रतिदिन इसकी पूजा और मंत्र जाप किया जाए।
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