पाएं नवरात्र के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की कृपा

पाएं नवरात्र के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की कृपा

नवरात्र का चौथा दिन 25-03-2023 को है यह शुभ दिन माँ कूष्माण्डा का है, नवरात्र के चौथे दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। इस दिन माँ कूष्माण्डा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त उनकी पूजा आराधना सच्चे मन से करते है। इस दिन किया गया उपवास भक्त को आयु, यश प्रदान करता है और आरोगय बनता है। माँ कूष्माण्डा की अनुकम्पा से भक्त अपने कार्य क्षेत्र में प्रगति की और अग्रसर होते है।

 

माँ कूष्माण्डा की कहानी
यह माना जाता है कि, सिद्धिदात्री का रूप धारण करने के बाद, देवी पार्वती सूर्य के केंद्र के अंदर रहने लगीं ताकि वे ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान कर सकें। तभी से देवी को कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। कुष्मांडा वह देवी हैं जिनके पास सूर्य के अंदर रहने की शक्ति और क्षमता है। उनके शरीर का तेज और कांति सूर्य के समान तेजमय है। इनकी उपासना करने वाला व्यक्ति सूर्य सामान हर कार्यक्षेत्र में प्रगति प्राप्त करता है। ऐसा माना जाता है भगवान सूर्य माँ कुष्मांडा की कृपा से सूर्य की दिशा और ऊर्जा प्रदान करती है !
मां सिद्धिदात्री का रूप सिंहनी पर सवार हैं। इन्हें आठ हाथों से चित्रित किया गया है। उनके दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बड़ा और कमल और बाएं हाथों में अमृत कलश, जाप माला, गदा और चक्र इसी क्रम में हैं।

 

 

व्रत संकल्प (मंत्र)
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे (भक्त का नाम वर्ष सहित) चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे (भक्त का नाम) प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः (भक्त का गोत्र)
अमुकनामाहं (भक्त का नाम) भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
नोट: अमुक के स्थान पर नाम, गोत्र और वर्ष अवश्य लिखें!

अर्थ 
ॐ विष्णु, विष्णु, विष्णु, आज, युग के अगले भाग में, श्री श्वेतवराह कल्प में, जम्बू द्वीप में, भारत देश में, अमुकनाम, (भक्त का नाम) संवत्सर,(वर्ष)
चैत्र शुक्ल प्रतिपदी अमुकवासर, (भक्त का नाम) नवरात्र पर्व) मैं देवी दुर्गा की कृपा के लिए व्रत रखूंगा / रखूंगी।
नोट: अमुक की जगह नाम, गोत्र और वर्ष याद रखें!

मां कूष्मांडा का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।
स्तोत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ - जो देवी मां कूष्मांडा के रूप में सभी प्राणियों में स्थित हैं। "उसे प्रणाम, उसे प्रणाम, उसे प्रणाम!"
ध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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1 comment

Jai mata dii Guruji aap ki kripa hum sub pur Bani Rahe

Pooja

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