हनुमान जन्मोत्सव भगवान हनुमान की जन्म के अवसर पर मनाई जाती है। हनुमान जन्मोत्सव 6 April 2023 को है। इस विशेष दिन पर जातक भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। वह मां अंजनी और भगवान केसरी के पुत्र हैं। उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है। भगवान हनुमानजी के जन्मोत्सव पर उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के शुभ दिन में मनाई जाती है।
प्राचीन अभिलेखों के अनुसार, भगवान हनुमान का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दौरान सुबह सूर्योदय के ठीक बाद और मंगलवार के दिन हुआ था। उनका जन्म मेष लग्न और चैत्र नक्षत्र के दौरान हुआ था। दक्षिण भारत में, यह मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाया जाता है।
भारत के दक्षिण पूर्व में विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, यह दिन चैत्र पूर्णिमा से शुरू होकर 41 दिनों तक मनाया जाता है और कृष्ण पक्ष के दौरान वैशाख महीने के 10 वें दिन समाप्त होता है।
उड़ीसा में, हनुमान जन्मोत्सव विशुभ संक्रांति के दौरान मनाई जाती है, जिसे मेष सक्रांति के नाम से जाना जाता है।
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
5 अप्रैल( बुधवार)- सुबह 09 : 19 a.m. से आरंभ
चैत्र पूर्णिमा तिथि समाप्त- 06 अप्रैल (गुरुवार ) - सुबह 10: 04 p.m.पर समाप्ततिथि
उदया तिथि के आधार पर हनुमान जयंती- 06 अप्रैल (गुरुवार) मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त- 6 अप्रैल को सुबह 06 :06 a.m. से लेकर सुबह 07 :40 a.m. तक
लाभ उन्नति मुहूर्त – दोपहर में 12:24 p. m.से दोपहर 01:58 p.m. तक
शाम के समय पूजा का मुहूर्त- 05: 07p.m. से रात 08 : 07 p.m. तक
शुभ उत्तम मुहूर्त- शाम 05:07 p.m. से शाम 06: 42 p.m. तक
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त- शाम 06: 42 p.m.से रात 08: 07 p.m. तक
हनुमान जयंती 2023 पूजा विधि
हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तांबे के पात्र में जल चढ़ाएं और उसमें कुमकुम, गुड़हल का फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करें। नेवैद्य में तुलसी के पत्तों के साथ बूंदी और मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। विधि वत पूजा संपूर्ण कर भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करे। षोडशोपचार विधि से हनुमान पूजा संपन्न करे। ये विधि इस प्रकार है। पूजा स्थल पर तांबे के पात्र में जल, अक्षत, पुष्प, रख कर साफ़ दाहिने हाथ से संकल्प ले। दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा) आकृति से जल अर्पित करें। विधि अनुसार धुप -दीप कर, सुन्दरकाण्ड पाठ का प्रारम्भ करे। और अंत में हनुमान चालीसा और राम स्तुति कर नैवेद्य अर्पित करे। और विधि अनुसार पूजा संपूर्ण करें।
संकल्प
ॐ तत्सत् आद्य अमुक संवत्सरे मासोत्तमे , अमुक तिथौ,
अमुका वासारे, अमुका गोत्रोत्पन्नोहम् अमुका नामा आदि...
सरला कामना सिद्ध्यार्थम श्री हनुमतपूजं करिष्ये।
आवाहन
यह प्रक्रिया हनुमानजी की मूर्ति या फोटो के सामने हाथ जोड़कर की जाती है।
श्रीहनमतः प्राणा इहा प्राणा हनुमतो जीव इहा स्थितः।
सर्वेंद्रायणि, वाड्मन-स्तवं-क्चक्षु-र्जिहव्-घर्ाणा पाणि-पाद-पायूपस्थानि
हनुमता इहगत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।
श्रीराम चरणा -भ्योन-युगलस्थिर मनसम्।
आवाहायामि वरदं हनुमन्तं भीष्टदम्॥
ॐ श्री हनुमते नमः आवाहनं समर्पयामि॥
ध्यान
कर्णिकार सुवर्णाभं वर्णनीयम गुणोत्तमम्।
अर्नवोल्लंघ्नौद्ययुक्तम तुरना ध्ययामि मारुतिम॥
ॐ श्री हनुमते नमः ध्यानम समर्पयामि॥
आसन
उपरोक्त ध्यान मंत्र से ध्यान करने के बाद। दोनों हाथों को जोड़ कर कमल बना पांच फूल हनुमान जी को अर्पित करें।
नवरत्नमयं दिव्यं चतुरस्रमनुत्तमम्।।
सौवर्णमासनं तुभ्यं कल्पये कपि नायक॥
ॐ श्री हनुमते नमः आसनं समर्पयामि॥
पाद्यों
भगवान हनुमानजी के चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करें।
सुवर्णकलशा -नितम सुष्टुसुवर्णकलशा -वासितमादरात्।
पादयो: पाद्यमानघं प्रति गृहण प्रसीद मे॥
ॐ श्री हनुमते नमः पाद्यं समर्पयामि॥
अर्घ्य
अब हनुमान जी के सिर पर जल चढ़ाएं।
कुसुमाक्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपि पुंडग्व।
दास्यामि ते अंजनी पुत्र स्वमर्घ्य-रत्नसंयुतम्॥
ॐ श्री हनुमते नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥
आचमन
आचमन के लिए हनुमान जी को जल अर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें।
महाराक्षसदर्पघ्न सुराधिप-सुपुजित।
विमलं शमलघ्न त्वं गृहाणा-चमनीयकम् ॥
ॐ श्री हनुमते नमः आचमनं समर्पयामि॥
स्नान मंत्र
इस मंत्र का जाप करते हुए हनुमानजी को पंचामृत और फिर अन्य मंत्र का जाप कर जल चढ़ाएं।
मध्वाज्या-क्षीर-दधिभिः सगुङैर्मंत्रसंयुतैः।
पंचामृत पृथकस्नानैः सिंचामि त्वं कपीश्वरः॥
ॐ श्री हनुमते नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि॥
और
सुवर्ण-कलशानातै-गंगादिसरि-दुद्भवः।
शुद्धोदकैः कपीश त्वामभिषिंचामि मारुते॥
ॐ श्री हनुमते नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि॥
यज्ञोपवीत
श्रौतस्मार्तादि कर्तृणां साङ्गोपाङ्ग फल प्रदम् ।
यज्ञोपवीतमनघं धारयानिलनन्दन ।।
॥ ॐ श्री हनुमते नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि।।
वस्त्रं
"ॐ सर्वभूषाधिके सौम्ये लोकलज्जानिवारणे मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यताम् वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि ।""
गंध
इस मंत्र का जाप करने के बाद हनुमान जी को इत्र अर्पित करें।
दिव्य कर्पूर संयुक्तं मृगनाभि समन्वितम्।
सकुंकुमं पीतगन्धम् ललाटे धारय प्रभो ।।
॥ ॐ श्री हनुमते नमः गन्धम् समर्पयामि ।।
अक्षत
इस मंत्र का जाप कर हनुमान जी को अखंडित चावल चढ़ाएं।
हरिद्राक्तानक्षतांस्त्वं कुंकुम द्रव्यमिश्रितान्।
धारय श्री गन्ध मध्ये शुभ शोभन वृद्धये।।
॥ ॐ श्री हनुमते नमः अक्षतान् समर्पयामि।।
पुष्प
इस मंत्र का जाप करते हुए भगवान हनुमानजी को फूल चढ़ाएं।
नीलोत्पलैः कोकनदैः कहारैः कमलेरपि।
कुमुदैः पुण्डरी कैस्त्वां पूजयामि कपीश्वरः ।।
मल्लिका जाति पुश्पैश्च पाटले कुटजैरपि।
केतकी बकुलधूतैः पुन्नागैर्नागकेसरः ।।
चम्पकै शतपत्रैश्च करवीरर्मनीहर-।
पूज्ये त्वां कपि श्रेष्ठ सवित्वे तुलसीदल ||
॥ ॐ श्री हनुमते नमः पुष्याणि समर्पयामि ।।
ग्रन्थि पूजा
इस मंत्र का जाप करते हुए जनेऊ या कलावा की तेरह गांठें बनाएं।
अज्जनी सूनवे नमः, प्रथम ग्रन्थिं पूजयामि।हनुमते नमः, द्वितीय ग्रन्थिं पूजयामि ।
वायुपुत्राय नमः, तृतीय ग्रन्थिं पूजयामि । महाबलाय नमः, चतुर्थ ग्रन्थिं पूजयामि।
रामेष्ठाय नमः, पञ्चम ग्रन्थिं पूजयामि । फाल्गुन सखाय नमः, षष्टम ग्रन्थिं पूजयामि ।
पिङ्गाक्षाय नमः, सप्तम ग्रन्थिं पूजयामि। अमित विक्रमाय नमः, अष्टम ग्रन्थिं पूजयामि।
सीता शोक विनाशनाय नमः, नवम ग्रन्थि पूजयामि।
कपीश्वराय नमः, दशम ग्रन्थि पूजयामि। लक्ष्मण प्राण दात्रे नमः, एकादश ग्रन्थिं पूजयामि। दशग्रीवदहनाय नमः द्वादश ग्रन्थिं पूजयानि। भविष्यद्वाह्मणे नमः, त्रयोदश ग्रन्थिं पूजयामि ।
धूप
भगवान हनुमान जी को धूप अर्पित करें।
दिव्यं सगुग्गुलं सायं दशांगं सर्वाह्निकम् ।
गृहाण मारुते धूपं सुप्रियं घ्राणतर्पणम् ।।
॥ॐ श्री हनुमते नमः धूपमाधापयामि ।।
दीप
अब हनुमान जी को घी का दीया अर्पित करें।
घृत पूरितमुडवाल सिन्सूर्यसमप्रभम्।
अतुलं तव दास्यानि व्रत पून्ये सुदीपकम् ।।
।।ॐ श्री हनुमते नमः दीप दर्शयामि।।
नैवेद्य
नशाकापूपसूपाद्यपायसानि च चत्वतः।
सक्षीरदधि खाज्यं च सपूपं घृतपाचितम् ।।
॥ॐ श्री हनुमते नमः नैवेद्य निवेदयामि।।
ताम्बूल
अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हनुमान जी को पान अर्पित करें।
ताम्बूलमनघ स्वामिन् प्रयत्नेन प्रकल्पितम्।
अवलोक्य नित्यं ते पूरतो रचितं मया ।।
॥ ॐ श्री हनुमते नमः ताम्बूलं समर्पयामि।।
दक्षिणा
"ॐ न्यूनारिक्त पूजायां सम्पूर्ण फल प्राप्तये।
दक्षिणा कांचनीं देव! स्थापयामि तवागत दक्षिणाद्रव्यं समर्पयामि ॥"
आरती
शतकोटिमहारत्न दिव्यसद्रत्न पात्रके।
नीराजन मिदं दृष्टेरतिथि कुरु मारुते॥
॥ ॐ श्री हनुमते नमः निराजनं समर्पयामि॥
प्रदक्षिणा
पापोअहम पापकर्मामहं पापात्मा पाप संभवः।
त्राहिमां पुंडरीकाक्ष सर्व पाप हरो भवः॥
॥ ॐ श्री हनुमते नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि॥
क्षमा- याचना
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन॥
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
बताई हुई विधि के अनुसार आप हनुमान जन्मोत्सव के दिन पूर्ण रूप से भगवान हनुमानजी को प्रसन्न कर सकते है।