नवरात्रि के आठवें दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरुप एवं महाअष्टमी कन्या पूजन किया जाता है और इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 10 अक्टूबर गुरूवार के दिन पड़ रही है। इसे “महा दुर्गाष्टमी” के नाम से भी जाना जाता है, यह दुर्गा पूजा का मुख्य दिन माना जाता है।
इस दिन पूजी जाने वाली माँ महागौरी का स्वरुप बहुत ही सौम्य, सुन्दर और शांत है, माँ शैलपुत्री की तरह ही माँ महागौरी का वाहन भी बैल है। माता की चार भुजाएं हैं जिनमें से एक हाथ अभय तो दूसरा हाथ वर मुद्रा में होता है तो वहीं अन्य दो हाथों में त्रिशूल और डमरू लिए उन्हें दर्शाया जाता है और वह सफेद वस्त्र धारण करती है। दुर्गाष्टमी पर विधि-विधान से माँ महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता और अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है।
माँ महागौरी और अष्टमी कन्या पूजन विधि
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को माँ महागौरी की पूजा के साथ कन्या या कुमारी पूजन करने की परंपरा है।
1. इस दिन स्वच्छ होकर नए वस्त्र धारण करें।
2. पूजा की थाली तैयार कर माता को फूल और अक्षत चढ़ाएं।
3. माता महागौरी को सफेद वस्त्र अर्पित करें।
4. मंत्रोचार कर दीप जलाएं।
5. माँ महागौरी की आरती करें।
6. माता को भोग लगाएं।
माँ महागौरी के इन मंत्रो का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः
अष्टमी कन्या पूजन-विधि
1. कन्याओं का घर में स्वागत करें।
2. साफ जल से कन्याओं के पैर धोएं।
3. हाथ में कलावा बाधें और माथे पर कुमकुम अक्षत लगाएं।
4. हलवा,पूड़ी और चने का प्रसाद परोसकर भोग लगाएं।
5. कन्याओं को उपहार में चुन्नी, नए वस्त्र या जरूरत का सामान भेट करें।
6. कन्याओं को फल और दक्षिणा भेट करें।
7. सभी परिवारजन कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
8. सभी कन्याओं के हाथों में अक्षत देकर घर में छिड़कने को कहें।
माँ महागौरी की पूजा का महत्व
ज्योतिष के अनुसार माँ महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती है, इनकी पूजा से कुंडली में राहु के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए माता को नारियल के लड्डू या नारियल के हलवे का भोग अवश्य लगाएं।
माँ महागौरी आपके और आपके परिवार पर अपनी कृपा बनाएं रखें। जय माता दी!