माँ ब्रह्मचारिणी

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से प्राप्त होंगे यह लाभ

माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप का पूजन नवरात्रि के दुसरे दिन किया जाता है, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 4 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है ब्रह्मचारिणी माता पार्वती का अविवाहित रूप है। माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक उपासना करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

 

ज्ञान और तप की देवी, माँ ब्रह्मचारिणी दाएं हाथ में मन्त्र जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण करती है। ज्योतिष के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती है इसलिए जिनकी जन्मकुंडली में मंगल कमजोर हो या मंगल ग्रह से सम्बंधित कोई भी समस्याएं हो उन्हें माँ पूरे विधि- विधान से माँ ब्रह्म्चारिणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

पूजा-विधि

 

1. सुबह स्नान कर गुलाबी या सफेद रंग के वस्त्र पहने।

2. आसन ग्रहण कर माता को सफ़ेद या पीला फूल अर्पित करें।

3. मंत्र का उच्चारण करते हुए रोली, चंदन और अक्षत (चावल) अर्पित करें।

4. माता को पान-सुपारी चढ़ाएं और हाथ जोड़कर ध्यान करें।

5. दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

6. माता को शक्कर (चीनी) और सफेद मिठाई का भोग लगाएं।


माँ ब्रह्मचारिणी के इन मंत्रो का जाप करें

 

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः

ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः


माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

 

माँ दुर्गा जी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों को सिद्धि और अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों मेभी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।

 

माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से व्यक्ति को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है तो वहीं ज्योतिष के अनुसार माँ ब्रह्म्चारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती है इनकी पूजा से व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है।

 

मान्यता और कथानुसार माँ ब्रह्म्चारिणी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप और प्रतीक्षा की जिसके फलस्वरूप उन्हें भवगान शिव पति रूप में प्राप्त हुए।

 

माँ ब्रह्मचारिणी को जरूर लगाएं चीनी का भोग

 

मातारानी के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान उन्हें चीनी (शक्कर) का भोग अवश्य लगाएं, ऐसा करने से भोग लगाने वाले की आयु में वृद्धि होती है साथ ही माता को सूरजमुखी या गेंदे का फूल भी अर्पित करें।


माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा दृष्टि आप सब पर बनी रहे, जय माता दी!

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