नवरात्रि का सातवां दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरुप को समर्पित होता है, इस वर्ष नवरात्रि का सातवां दिन 9 अक्टूबर, बुधवार के दिन पड़ रहा है। देवी पार्वती का यह स्वरुप अत्यंत क्रूर और भयानक माना जाता है। माँ कालरात्रि की सवारी गधा है, माता के गले में मुंडो(खोपड़ी) की माला होती है और माता की चार भुजाएं है, बाएं दोनों हाथो में तलवार और खडग तो वहीं दोनों दाएं हाथ अभय मुद्रा में होते हैं।
माता पार्वती ने कालरात्रि का अवतार राक्षस शुम्भ-निशुम्भ का संहार करने के लिए लिया था। नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की विधि विधान से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
1. सुबह स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
2. मंदिर की साज-सज्जा कर पूजा की ताली तैयार करें।
3. मंत्रोचार करते हुए माँ को पुष्प, लाल चन्दन, अक्षत चढ़ाएं।
4. ज्योत जलाकर माता कालरात्रि की आरती करें।
5. दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
6. माता को भोग लगाएं।
7. माँ से प्रार्थना करते हुए पूजा संपन्न करें।
माँ कालरात्रि के इन मंत्रो का जाप करें
ॐ कालरात्र्यै नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।
माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व
नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माँ कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा की जाती है, माता की आराधना से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। ज्योतिष के अनुसार माँ कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती है इसलिए नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि की आराधना करने से शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
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माँ कालरात्रि को प्रिय है गुड़ का भोग
माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप, माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, माता के पूजन में लाल या पीले पुष्प चढ़ाने से भी जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
माँ कालरात्रि का आशीर्वाद आपके और आपके परिवार पर बना रहे। जय माता दी!