माँ सिद्धिदात्री

नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री के पूजन से करें नवरात्र का समापन

नवरात्र के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्री का यह नौवां दिन दिनांक 30-03-2023 को है। इस दिन जातक नौ कन्याओं को चने, हलवा और पूरी का भोग लगा कर व्रत का उद्यापन करते है।इस विशेष दिन नव दुर्गा की पूजा अराधना के दिए हवन भी संपन्न किया जाता है। दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। जातक को माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां होती हैं।ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है। जो इस प्रकार है: अणिमा 2. लघिमा 3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6. ईशित्व,वाशित्व 7. सर्वकामावसायिता 8. सर्वज्ञत्व 9. दूरश्रवण 10. परकायप्रवेशन 11. वाक्सिद्धि 12. कल्पवृक्षत्व 13. सृष्टि 14. संहारकरणसामर्थ्य 15. अमरत्व 16. सर्वन्यायकत्व 17. भावना 18. सिद्धि

माँ सिद्धिदात्री कथा

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्ही की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

इनकी आराधना से जातक अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ, वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री की उपासना अंतिम दिन में की जाती हैं।इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। माँ सिद्धिदात्री केतु गृह को नियंत्रित करती है और जातक को केतु के दुष्प्रभाव से आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।


मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ
हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ।

प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

ध्यान

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

आरती

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥क्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
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1 comment

Paise refund kara do besharmo mehnat ke paise he mere sharam karo 63000/- (+919999750506) G-pay kiye he screenshot b he mere pas jab tumko kuch aata nai to paise de do paise kis baat k le rahe ho MURKHO nash ho tumhara

SAGAR

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