नवरात्रि उत्सव के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की अराधना की जाती है और इस वर्ष शरद नवरात्रि का तीसरा दिन 5 अक्टूबर, शनिवार के दिन पड़ रहा है। माँ चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप है वह बाघिन की सवारी करती है साथ ही उनके सर पर अर्धवृताकार (आधा गोलाकार) का चन्द्रमा सुशोभित है इसी कारण उन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है। माता का स्वरूप बहुत अलौकिक है उनकी दस भुजाएं है जो कई तरह के अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित है।
पूजा विधि
1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2.माता चंद्रघंटा के मंत्रो का उच्चारण कर माँ का पंचामृत या सादे जल से अभिषेक करें।
3. माँ चंद्रघंटा को फूल, अक्षत अर्पित कर कुमकुम लगाएं।
4. धूप-दीप प्रज्वलित कर माँ चंद्रघंटा की आरती करें।
5. माँ को मिठाई या फल का भोग चढ़ाएं।
6. माता को प्रणाम करते हुए श्रद्धा भाव से प्रार्थना करें।
7. प्रसाद वितरण कर खुद भी ग्रहण करके पूजा का समापन करें।
माँ चंद्रघंटा के इन मंत्रो का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
माँ चंद्रघंटा का स्वरुप वीरता, शान्ति और स्थिरता का प्रतीक है, माता का स्वरुप उग्र है लेकिन वह भक्तों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाती हैं। ज्योतिष के अनुसार माँ चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती है इनकी पूजा से व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
माँ चंद्रघंटा को दूध जरूर अर्पित करें
नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित होता है, इस दिन जीवन से दुखों को दूर करने के लिए माता की पूजा के समय उन्हें दूध जरूर अर्पित करें। चंद्रघंटा माँ की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए अपराजिता का फूल भी चढ़ाएं।
माँ चंद्रघंटा की कृपा आप पर सदैव बनी रहें। जय माता दी!