


हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती हैं। एक कृष्णपक्ष की और दूसरी शुक्लपक्ष की एकादशी। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और दान देते हैं। एकादशी के व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक काल से माघ महीने को बहुत पुण्यकारी महीना माना जाता रहा है। इस महीने दान, स्नान और व्रत का विशेष महत्व समझा जाता है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही जया एकादशी कहते हैं। कहते हैं कि जो इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं उन्हें प्रेत-योनि का सामना नहीं करना पड़ता।
इस संबंध में एक कथा भी प्रचलित है कि एक दिन इंद्र की सभा में एक उत्सव चल रहा था जिसमें देव,गंधर्व नृत्य कर रहे थे। उन्हीं में पुष्यवती और माल्यवान नामक गंधर्व एक-दूसरे पर मोहित हो जाते हैं। दोनों एक-दूसरे में ऐसे खो गए कि सभा की शिष्टता को भूल गए। उनकी इस अभद्रता पर क्रोधित होकर इंद्र उन्हें पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप दे देते हैं। पिशाच योनि में उन्होंने काफ़ी कष्ट उठाए। कई-कई दिनों तक उन्हें खाने को नहीं मिला। अंत में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनसे अनजाने में जया एकादशी के दिन व्रत हो गया क्योंकि कुछ भी उन्हें उस दिन खाने को नहीं मिला था। इसके चलते दोनों ने एकादशी के व्रत का उपवास कर लिया। जिस कारण उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई और वे स्वर्ग में स्थान पा सके।
इस व्रत के महत्व को श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को भी बताते हुए कहा कि जया एकादशी के दिन श्री विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर गंगाजल से घर को शुद्ध करके भगवान श्री विष्णु और उनके अन्य स्वरूपों की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है। उन्हें पीले फूल, माला, फल, मिठाई आदि अर्पित किया जाता है। भक्त सच्चे मन से भगवान को याद करते हैं, उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा माँगते हैं।
जया एकादशी के दिन कई वस्तुओं का परहेज़ किया जाता है। जैसे- चावल, दाल, अनाज, शहद, पत्तेदार सब्जि़याँ आदि। जो लोग व्रत नहीं करते वे भी इनके सेवन से अपने आपको बचाते हैं। कुछ लोग इस एकादशी का व्रत एक दिन पहले से शुरू कर देते हैं।
इस साल जया एकादशी
इस साल जया एकादशी 31 जनवरी, 2023 की सुबह 11ः53 बजे शुरू होकर 1 फरवरी, 2023 को दोपहर 2ः01 बजे समाप्त होगी। वैदिक परंपरा में उदय होते सूर्य में ही तिथि का आगमन माना जाता है। इसलिए इस साल एकादशी 1 फरवरी को मनाई जाएगी और एकादशी व्रत का पारण 2 फरवरी, 2023 को सुबह 7ः09 बजे से 9ः19 बजे तक होगा।
एकादशी व्रत की समाप्ति को ही पारण कहा जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। इसलिए इस साल पारण गुरुवार की सुबह संपन्न होगा।
व्रत के नियम और उपाय
इस एकादशी के दिन न तो कड़वा बोलें, न किसी के साथ लड़ाई या झगड़ा करें। न ही चोरी करें।
इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
जुआ, ताश आदि नहीं खेलने चाहिए।
इस दिन तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है।
शाम के समय तुलसी के सामने दीया जलाकर ‘ऊँ वासुदेवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करने और 11 बार तुलसी की परिक्रमा करने पर लाभ की प्राप्ति होती है।
पीले खुशबूदार फूलों के पौधे भी इस दिन लगाए जाते हैं। जो श्री हरि के प्रिय पुष्प होते हैं।
पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु जी का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित कर, सांध्यकाल में दीपक जलाने से श्री हरि प्रसन्न होते हैं।
गरीब एवं ज़रूरतमंदों को सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा देने से लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही पापों से भी मुक्ति मिलती है।
कहते हैं कि जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से और व्रत रखने से ‘अश्वमेघ यज्ञ’ के समान फल मिलता है। इसे भीष्म एकादशी या भूमि एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जया एकादशी के दिन पवित्र मन से भगवान का ध्यान और पूजन करना चाहिए। जो लोग नियमपूर्वक इस व्रत को करते हैं उन पर माँ लक्ष्मी और विष्णु जी की अपार कृपा बरसती है।
Published on: 01-02-2023