


भारत का इतिहास वीरता की गाथाओं और ऐसे ही कई महापुरुषों की कहानियों और बलिदानों से भरा है। ऐसे महापुरुषों की यादें हमें इस देश के लिए कुछ करने के लिए हमेशा प्रेरित करती हैं। अपने धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देना सभी का कर्तव्य है, लेकिन दूसरों के विश्वास की रक्षा के लिए बलिदान देना गुरु तेग बहादुर के बलिदान की कहानी है।
आज देश भर में गुरु तेग बहादुर का 400वा प्राकट्य दिवस मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे जो सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव द्वारा निर्धारित मार्ग का अनुसरण करते थे। उन्होंने 115 सिख ग्रंथों की रचना की है। जब कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया जा रहा था, गुरु तेग बहादुर ने इसका विरोध किया था।
गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत ने भारत के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया था। गुरु तेग बहादुर ने जबरन इस्लामिक धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बिगड़ते जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को नियंत्रित किया था। गुरु तेग बहादुर के कारण, औरंगजेब गैर- मुसलमानों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने में विफल रहा था। और यही कारण था कि उन्होंने गुरु तेग बहादुर का सर कलम कर उनकी हत्या कर दी थी। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब वह स्थान है जहां गुरु तेग बहादुर जी की हत्या हुई थी। यह जगह उसकी याद दिलाती है। उन्होंने धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों और संस्कृति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
Published on: 21-04-2022