


भगवान् श्री राम के प्रिय भक्त, भगवान हनुमान जी का जन्मोत्सव इस साल 16 अप्रैल को मनाया जायेगा। पवन पुत्र हनुमान का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की उदया तिथि पूर्णिमा के दिन मंगलवार को हुआ।
भक्त शिरोमणि भगवान् हनुमान भगवान् शिव का ११वा रुद्रावतार हैं। भगवान् हनुमान भगवान् श्री राम के अनन्य भक्त और अपार शक्ति ऐव बुद्धि के धाम है। भगवान् हनुमान को अष्ट सिद्धि और नव निधि का दाता भी कहा गया है।
कैसे हुआ हनुमान जी का जन्म
श्री तुलसी दास रामचरितमानस में उनके जन्म का अद्भुत वर्णन मिलता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी के जो यज्ञप्रसाद भगवान् श्री राम के अवतरण का निमित्य बना वही यज्ञ प्रसाद हनुमान जी के जन्म का भी कारण था। कई वर्षो तक जब सूर्यवंश में उत्तराधिकारी की उत्पत्ति नहीं हुई तब राजा दशरथ ने, महा−ऋषि वशिष्ठ जी के सुझाव से पुत्रकामेष्टि यज्ञ का संकल्प किया। यज्ञ के पूर्ण होने पर सभी रानियों को प्रसाद स्वरूप खीर की प्राप्ति हुई जिनमें से माता सुमित्रा के भाग की खीर को एक चील ने छीन लिया और यह खीर का पात्र माता अञ्जनी के आँचल में ले जा कर डाल दिया।
माता अञ्जनी पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान् शिव की तपस्या में लीन थी तभी उनका ध्यान इस पात्र की और गया और माता ने उसको भगवान् शिव के आशीर्वाद स्वरूप समझ कर ग्रहण कर लिया। यह सब देख माता के समक्ष भगवान् शिव प्रकट हुए और उनको एक तेजस्वी पुत्र प्राप्ति होने का शुभ समाचार दिया जो स्वयं महादेव का ही रुद्रावतार होगा।
समय बीता और माता अञ्जनी ने एक तेजस्वी और दिव्य रूपवान पुत्र को जन्म दिया, जिसका वर्ण स्वर्ण के सामान कांतिमय था। भगवान् हनुमान ने जन्म के साथ ही राम नाम का ध्यान शुरू कर दिया . हनुमान जी ने अपनी शिक्षा भगवान् सूर्य देव से ग्रहण की और अल्प आयु में ही अध्ययन पूरा कर ध्यान में लग गए।
Published on: 15-04-2022